साकी पिलाना आज एक जाम उनके नाम पे,
ताकि याद न वो आयें मुझे आज शाम से ।
बेवफाई की दास्ताँ मैं बयान कर सकूँ उनके नाम पे ,
की हर वक्त छला उनहोंने मुझको वफ़ा के नाम से ।
अपने दामन को तो बचा लिया मेरे वजूद के निशान से ,
और कर दिया बदनाम मुझको उन्होंने अपने नाम से ।
हम तो अब भी सजाते है महफिलें उनके नाम पे ,
पर वो आते नही उन महफिलों में मेरे नाम से ।
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