Tuesday, February 2, 2010

तलाश - फिर से जीने के लिए .......

कुछ खो जाए तो उसे ढूंढना ही पड़ता है.. अगर वो आप खुद हों ...तो निहायत ही ज़रूरी....टूटे दिलों की तलाश अक्सर लम्बी हो जाती है...............खुद को फिर से ढूंढ लेने के लिए ...... जीने के लिए ................... आखिर मरने तक जीना भी...मौत जितनी बड़ी सच्चाई है.......आप क्या सोचते हैं ?


गुमशुदा सा है कुछ मुझे जिसकी तलाश है ,
खो बैठा हूँ खुद को फिर पाने की आस है ।

निशाँ भी नहीं बाकी ज़हाँ से कारवां चला था ,
मुझको इस बहते दरिया में साहिल की आस है ।

कैसे कहूं कि मैं वो ज़ज्बात चाहता हूँ ,
मुझे तो बस उन अहसासों की आस है ।

तन्हा सा है "रकाब" इक ख्वाब की तलाश है ,
फिर से जीने के लिए एक वजह की आस है ।

7 comments:

  1. bahut hi achcha likha hai aur jivan se parivhay karaya hai.

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  2. निशाँ भी नहीं बाकी ज़हाँ से कारवां चला था ,
    मुझको इस बहते दरिया में साहिल की आस है ।
    Behad sundar! Aapka swagat hai!

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  3. गुमशुदा सा है कुछ मुझे जिसकी तलाश है ,
    खो बैठा हूँ खुद को फिर पाने की आस है ।
    Sundar!
    Swagat hai!

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  4. बहुत अच्छा लेखन, कृपया शब्द पुष्टिकरण हटा लीजिये

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  5. आप सब के विचार पढे ....बहुत खुशी हुई...यदि हो सके तो एक बार सभी पोस्ट की हुई रचनाये पढे और अपना नज़रिया बताये.......आप के इंतज़ार मे ..........
    - आपका
    गौरव पाण्डेय

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