Monday, May 4, 2009

एक जाम ...उनके नाम .....................

साकी पिलाना आज एक जाम उनके नाम पे,
ताकि याद न वो आयें मुझे आज शाम से ।

बेवफाई की दास्ताँ मैं बयान कर सकूँ उनके नाम पे ,
की हर वक्त छला उनहोंने मुझको वफ़ा के नाम से ।

अपने दामन को तो बचा लिया मेरे वजूद के निशान से ,
और कर दिया बदनाम मुझको उन्होंने अपने नाम से ।

हम तो अब भी सजाते है महफिलें उनके नाम पे ,
पर वो आते नही उन महफिलों में मेरे नाम से ।

Sunday, May 3, 2009

टूटे रिश्ते ........

रिश्ते अगर दिल के करीब हो तो टूटने पर दर्द ज़्यादा होता है ....इस को अल्फाज देने की एक छोटी सी कोशिश है ये ग़ज़ल.......

आँख से आज गीलापन सा छलक रहा क्यों है ,
टूटे रिश्तों की तड़प इस कदर निकलती क्यों है ।

दूर तक फैले गम के इन अंधेरों में ,
ख्वाहिशें सारी खो गयी क्यों है ।

डोर कैसी ही सही मगर टूटी तो है ,
ख्वाब मेरे इस तरह कुचले गए क्यों है ।

इधर कोई उम्मीद बाकी नहीं है दिल में ,
उधर से आस का दामन उड़ा आ रहा क्यों है ।

अश्क - औ - गम के रिश्ते तो बहुत पुराने है ,
मेरा भी इनसे इक रिश्ता सा बन रहा क्यों है ।

Friday, May 1, 2009

तेरा साया .........

एक सुबह को कुछ गुनगुना रहा था ..........................सोचा लिख लूँ .....शायद आपको पसंद आए........


नज़्म तेरी बनकर तेरे होंठो पे आऊँगा ,
प्यार का गीत बनकर फिजा में छा जाऊंगा ।

भुला न पाओगे चाह कर भी मुझको,
अपने वजूद का हर घड़ी अहसास करा जाऊंगा ।

अपनी हर साँस की आहट पे,
नज़रों को मेरी खुला ही पाओगी ।

मेरी कब्र के हर इक कोने पे,
अपनी यादों के चिरागों को जला पाओगी ।

और आएगी उन फिजाओं में वो खुशबू ,
जिसकी तलबगार तुम होना ज़रूर चाहोगी ।