Sunday, May 3, 2009

टूटे रिश्ते ........

रिश्ते अगर दिल के करीब हो तो टूटने पर दर्द ज़्यादा होता है ....इस को अल्फाज देने की एक छोटी सी कोशिश है ये ग़ज़ल.......

आँख से आज गीलापन सा छलक रहा क्यों है ,
टूटे रिश्तों की तड़प इस कदर निकलती क्यों है ।

दूर तक फैले गम के इन अंधेरों में ,
ख्वाहिशें सारी खो गयी क्यों है ।

डोर कैसी ही सही मगर टूटी तो है ,
ख्वाब मेरे इस तरह कुचले गए क्यों है ।

इधर कोई उम्मीद बाकी नहीं है दिल में ,
उधर से आस का दामन उड़ा आ रहा क्यों है ।

अश्क - औ - गम के रिश्ते तो बहुत पुराने है ,
मेरा भी इनसे इक रिश्ता सा बन रहा क्यों है ।

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